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अध्यक्ष की कलम से...
हमारे भारत में शिक्षा का स्तर आदिकाल से ही अत्यंत उच्च कोटि का रहा है। जब दुनिया शिक्षा की ABCD सीख रही थी तब हमारे देश में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय स्थापित थे जिसमें भारत ही नहीं विदेशों के छात्र अध्ययन, अध्यापन एवं शोध करने के लिए आया करते थे। कभी देश की साक्षरता की दर 97% रहा करती थी लेकिन समय-काल- परिस्थिति की करवट ने देश की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त कर दी।

देश की स्वतंत्रता के बाद विगत 77 वर्षों से शिक्षा में गुणात्मक एवं संख्यात्मक वृद्धि के लगातार प्रयास हो रहे हैं इसी कड़ी में देवास शहर में शिक्षा क्षेत्र को समर्पित करते हुए, 1991 में "विंध्याचल एकेडमी के नाम से शिक्षा संस्थान प्रारम्भ किया गया तब से आज तक विगत 33 वर्षों से विद्यालय से हजारों विद्यार्थियों ने अपने उज्जवल भविष्य के लिए इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर समाज जीवन के उच्चस्थानों पर पदस्थ होकर अपने शहर, प्रदेश एवं राष्ट्र को उन्नत करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है और देते आ रहे हैं।

विंध्याचल एकेडमी का उद्देश्य शिक्षा के साथ-साथ बालक- बालिकाओं का सर्वांगीण विकास करते हुए उन्हें संस्कारवान बनाकर समाज और राष्ट्र के लिए योग्य दायित्व निभा सके, ऐसे सुयोग्य विद्यार्थी तैयार करना है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सम्पूर्ण विद्यालय परिवार अपनी ऊर्जा, शक्ति, समन्वय, समर्पण के साथ यहाँ अध्ययनरत बालक -बालिकाओं को इस प्रकार तैयार करते हैं कि वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रवेश कर अपनी सफल व्यक्तित्व के रूप में पहचान बना सकें।

विंध्याचल एकेडमी शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए विद्यार्थी को समाज जीवन की सभी विधाओं में पारंगत करता है और जिससे विद्यार्थी आगे चलकर अपने सुसंस्कारित शिक्षा का सदपुयोग करते हुए समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाते है।

शिक्षा मनुष्य के जीवन का दर्पण होती है। मनुष्य के व्यवहार, आचरण, बोल-चाल आदि गुणों से उसके शिक्षा की पहचान हो जाती है।

हमें गर्व है कि हम विद्यार्थियों के व्यक्तिव को चहुँमुखी प्रतिभा का धनी बनाने में सफल रहे हैं। भविष्य में भी हम अपनी प्रतिबद्धता इसी प्रकार पूर्ण निष्ठा, समर्पण से करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देते रहेगें।

दिनेश गुप्ता (अध्यक्ष)